Thursday, April 11, 2019

पाकिस्तान: बालाकोट हमले के बाद मदरसे का पहला आंखों देखा हाल

पाकिस्तान की सेना ने बुधवार को अंतरराष्ट्रीय मीडिया संस्थानों के कुछ पत्रकारों को बालाकोट में उस जगह का दौरा करवाया जहाँ भारत ने 26 फ़रवरी को हवाई हमला करने का दावा किया था.

बीबीसी संवाददाता उस्मान ज़ाहिद भी पत्रकारों के इस दल में मौजूद थे.

इस हमले को लेकर काफ़ी विवाद रहा है. भारत दावा करता रहा है कि उसने 26 फ़रवरी को तड़के हमला कर पाकिस्तान के ख़ैबर-पख़्तूनख्वा में बालाकोट नाम की जगह पर चरमपंथी संगठन जैश-ए-मोहम्मद के ठिकाने को तबाह कर दिया था.

मगर पाकिस्तान का कहना था कि इस हवाई हमले में किसी की जान नहीं गई और जिस परिसर पर हमला करने का दावा भारत कर रहा है, वह मदरसा है और उसे कोई नुक़सान नहीं पहुंचा है. पाकिस्तान का कहना था कि भारतीय वायुसेना के हमलों में सिर्फ़ पेड़ गिरे हैं और एक जगह पर घर के क़रीब बम गिरने से एक व्यक्ति घायल हुआ है.

पाकिस्तान सरकार ने तब बीबीसी समेत पूरे मीडिया को आश्वस्त किया था कि अगले ही दिन उन्हें घटनास्थल पर ले जाया जाएगा. मगर बाद में सरकार अपने वादे से पीछे हट गई थी.

10 अप्रैल, 2019 को यानी हमले के 43 दिन बाद पाकिस्तान सरकार ने इस्लामाबाद में मौजूद विदेशी मीडिया और कुछ विदेशी राजनयिकों को घटनास्थल का दौरा करवाया.

हालांकि, भारतीय विदेश मंत्रालय ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए बीबीसी को बताया, "आधिकारिक प्रवक्ता ने नौ मार्च को ही कह दिया था कि 26 फ़रवरी को की गई असैन्य आतंकवाद विरोधी स्ट्राइक अपने लक्ष्यों को हासिल करने में सफल रही थी. यह कार्रवाई सीमा पार आतंकवाद के ख़िलाफ निर्णायक क़दम उठाने के लिए हमारे संकल्प को दर्शाती है."

वैसे विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों का कहना है कि घटना के डेढ़ महीने बाद ख़ुद मीडिया को घटनास्थल पर ले जाने से ही समझा जा सकता है कि सच क्या है.

पढ़िए बीबीसी संवाददाता उस्मान ज़ाहिद ने वहाँ क्या देखा?

पाकिस्तान की सेना के माध्यम से विदेशी मीडिया के लोग इस्लामाबाद आए हुए थे. उन्हें उस जगह का दौरा करवाया गया जहां पर भारतीय वायुसेना ने एयरस्ट्राइक का दावा किया था.

इसके साथ ही उस मदरसे का भी दौरा करवाया गया जिसके बारे में भारतीय मीडिया ने कहा था कि जिसे तबाह कर दिया गया.

इस्लामाबाद से हमने हेलिकॉप्टर से उड़ान भरी और मानसेरा से थोड़ा आगे एक कॉलेज है, वहां पर लैंड किया. हेलिकॉप्टर से जाने के बाद डेढ़ घंटे कठिन रास्ते से मुश्किल पहाड़ी रास्ते से सफ़र करना पड़ा.

जब हम मदरसे की ओर जा रहे थे तो बीच में हमें तीन अलग-अलग जगहों पर ले जाया गया जहां सिवाये गड्ढों के कुछ नहीं था. यहां पेड़ टूटे हुए थे. हमें बताया कि इंडियन एयरफोर्स ने यहां पर पेलोड गिराए थे.

ये गड्ढे आबादी से काफ़ी दूर थे. इस इलाके में घर काफ़ी दूर-दूर हैं, आबादी काफ़ी बिखरी हुई है. एक गड्ढा एक कच्चे से घर के बाहर था. हमें बताया गया कि एक आदमी यहां ज़ख़्मी हुआ है. बाक़ी जगहें घाटी में पेड़ों के बीच थीं जहां पर गिरे हुए पेड़ अब भी वहीं मौजूद हैं.

फिर हमें ऊपर पहाड़ी की चोटी पर मौजूद मदरसे पर ले जाया गया. यहां पर किसी भी मीडिया को पहली बार लाया गया.

हमने जो बिल्डिंग देखी वो शिक्षण संस्थानों जैसी थी. जैसे कि छत पर चादरें वगैरह डाली जाती हैं, उसी तरह की बिल्डिंग है.

उसमें किसी तरह के ऐसे निशान नहीं मिले कि इन्हें नया बनाया गया है या यहां कोई नुक़सान हुआ है या कोई अटैक हुआ है.

पूरी इमारत अपनी हालत में खड़ी थी. हमने अलग-अलग जगह जाकर देखा. सारा स्ट्रक्चर पुराना है. कुछ हिस्से तो काफ़ी पुराने लग रहे थे. सामने ठीकठाक आकार का प्लेग्राउंड है जिसके साथ मस्जिद का हॉल है. यहां 150-200 के क़रीब बच्चे पढ़ रहे थे.

जब हमने अधिकारियों से पूछा कि यह दौरा इतनी देरी से क्यों करवाया जा रहा है तो उन्होंने कहा कि हालात इतने अस्थिर थे कि लोगों को यहां लाना बहुत मुश्किल था.

अधिकारियों ने कहा कि अब जाकर उन्हें लगा कि यह मीडिया को यहां लाने का उपयुक्त समय है.

हालांकि, जब यह कहा गया कि यह बात सभी को मालूम है कि इससे पहले प्रशासन ने स्थानीय पत्रकारों और समाचार एजेंसी रॉयटर्स की एक टीम को मौक़े पर जाने से रोक दिया था इस बात से इनकार कर दिया गया.

जब पाकिस्तानी सेना के जनसंपर्क विभाग में प्रवक्ता आसिफ़ गफ़ूर से पूछा गया कि कुछ समय पहले मदरसे के बोर्ड पर पत्रकारों ने मौलाना यूसुफ़ अज़हर का नाम देखा था, ऐसे में इसे कौन चला रहा है. उन्होंने इसका सीधा जवाब नहीं दिया और कहा कि हम मदरसों की फ़ंडिंग और उसके कोर्स पर ध्यान देने की कोशिश कर रहे हैं.

मदरसे के अंदर एक बोर्ड पर लिखा था कि मदरसा 27 फ़रवरी से लेकर 14 मार्च तक बंद था.

जब मैंने एक अध्यापक और एक छात्र से इस बारे में बात की तो उन्होंने कहा कि हमले के बाद आपातकालीन क़दम उठाते हुए इसे बंद किया गया था और यह अब भी बंद है.

फिर उनसे पूछा कि अगर ऐसा है तो इतने सारे छात्र यहां पर क्यो हैं? इस पर उन्होंने कहा कि मदरसे में तो छुट्टियां हैं, यहां जो छात्र मौजूद हैं वो स्थानीय हैं.

Wednesday, April 3, 2019

官方:校园足球特色学校将试点推行体育家庭作业制度

  中新网4月3日电 据教育部网站消息,近日,全国青少年校园足球工作领导小组发布关于做好2019年校园足球工作的通知,通知称,2019年将出台一系列文件,进一步规范校园足球发展,推进校园足球普及,提高校园足球水平。教育部门会同体育等部门指导当地校园足球特色学校制订科学的课余训练计划,试点推行体育家庭作业制度,广泛开展校园足球课余训练,为喜欢足球和有足球潜能的学生提供学习和训练机会。

  通知称,经全国青少年校园足球工作领导小组批准,2019年全国校足办将加快校园足球推广、教学训练、竞赛、“满天星”训练营样板、荣誉、一体化推进、科研、舆论宣传引导等“八大体系”建设,研制“八大体系”配套文件。将出台“全国青少年校园足球‘满天星’训练营基本要求”“全国青少年校园足球精英运动员集训方案”“进一步规范全国青少年校园足球竞赛活动的通知”“全国青少年校园足球注册工作管理暂行规定”“全国青少年校园足球新媒体矩阵构建方案”“开展幼儿足球推进试点工作的通知”等文件,进一步规范校园足球发展,推进校园足球普及,提高校园足球水平。

  通知指出,各地要加强对校园足球特色学校、试点县(区)和改革试验区的质量管理与考核,健全整改退出机制。

  通知表示,教育部门会同体育等部门指导当地校园足球特色学校制订科学的课余训练计划,试点推行体育家庭作业制度,广泛开展校园足球课余训练,为喜欢足球和有足球潜能的学生提供学习和训练机会。推进校园足球“满天星”训练营和足协青训中心共商共建,支持各地校足办与职业俱乐部和社会企业合办“满天星”训练营。鼓励和引导有条件的地区筹建省级、地市级、县区级、学区级和校级训练营,开展定期、分级、科学训练,切实提高校园足球运动技能和竞技水平。

  通知称,各地要确保校园足球特色学校建立班级、年级和校级足球代表队和集训队,确保男队和女队同等对待。扎实开展班级联赛,做到班班有球队、周周有比赛,并通过年级联赛组建各个年龄组学校代表队。

  通知指出,各地要认真组织、积极鼓励行政区域内学校参加全国青少年校园足球联赛。大学男子比赛分设高水平组、高职高专组和校园组三个组别,其中高水平组设超冠联赛和冠军联赛两个级别,实行升降级制,将逐步试行比赛成绩与高水平运动队招生资格挂钩机制。大学女子比赛设高水平组和校园组,高水平组全国总决赛前10名的队伍参加中国足协女乙联赛总决赛,若升入女甲,需经全国校足办同意后方可参赛。高中联赛男子和女子全国前8名参加夏令营分营活动,男子前2名参加青超联赛高中组(U17)第二阶段比赛。各省初中联赛冠军队参加全国“冠军杯”赛,男子和女子全国前8名参加夏令营分营活动,男子前2名参加青超联赛初中组(U15)第二阶段比赛。

  此外,通知还指出,未经全国校足办审批公布的全国性赛事活动,各义务教育阶段学校均不能参加。非教育系统举办的竞赛(不包括国家体育总局、中国足协、学生体协会同全国校足办联合举办的竞赛)要提前一年申请,经全国校足办同意并公布后方可参赛。除全国校足办主办的比赛外,义务教育阶段学校比赛严格限制在省内范围,确有需要开展的全国性赛事活动须报省级校足办审批后报全国校足办备案。

  通知称,为营造风清气正的竞赛环境,进一步健全校园足球赛风赛纪监督、检查、问责等制度,对违纪违规问题实行“零容忍”,发现一起、惩处一起。全国校足办对入选全国夏令营总营和分营但因参加其他赛事未报到或中途退营的学生,取消拟授予的运动员等级。

  通知表示,各地要注重发现、选拔和重点培养学生足球运动苗子,建立教育、体育和社会相互衔接的人才输送渠道,拓宽校园足球学生运动员进入国家足球后备人才梯队、国内外职业足球俱乐部的通道。不断优化全国青少年校园足球管理信息系统,动态监测学生学习、升学和流动情况,提供相应支持服务。

  通知称,校园足球工作是一项系统、长期、基础工程,各地校园足球工作领导小组成员单位要继续关心、支持和参与校园足球工作,共同构建政府主导、学校主体、行业指导、社会参与的新时代校园足球发展格局,促进校园足球形成教学体系规范、训练架构完整、竞赛体系完备、人才渠道畅通、保障体系健全的发展体系。